To avoid oscillation of the parachute while descending owing to the changing currents of wind, a hole in the center of parachute is made, which allows the air to run out of the parachute regularly.
To avoid oscillation of the parachute while descending owing to the changing currents of wind, a hole in the center of parachute is made, which allows the air to run out of the parachute regularly.
Copper and aluminium wires are usually employed because they have a very low resistivity. During transmission, because of low resistance the power losses due to the heat produced in them will be considerably reduced.
Copper and aluminium wires are usually employed because they have a very low resistivity. During transmission, because of low resistance the power losses due to the heat produced in them will be considerably reduced.
राष्ट्रीय आय की मुख्यतः तीन परिभाषाएँ दी जाती हैं। प्रो. मार्शल के अनुसार, "किसी देश का श्रम और पूँजी उसके प्राकृतिक संसाधनों पर क्रियाशील होकर प्रतिवर्ष वस्तुओं का एक शुद्ध समूह उत्पन्न करते हैं, जिसमें भौतिक तथा अभौतिक पदार्थ तथा सभी प्रकार की सेवाएँ सम्मिलित रहती है। यह देश की विशुद्ध वार्षिक आयRead more
राष्ट्रीय आय की मुख्यतः तीन परिभाषाएँ दी जाती हैं।
प्रो. मार्शल के अनुसार, “किसी देश का श्रम और पूँजी उसके प्राकृतिक संसाधनों पर क्रियाशील होकर प्रतिवर्ष वस्तुओं का एक शुद्ध समूह उत्पन्न करते हैं, जिसमें भौतिक तथा अभौतिक पदार्थ तथा सभी प्रकार की सेवाएँ सम्मिलित रहती है। यह देश की विशुद्ध वार्षिक आय या राष्ट्रीय लाभांश है।”
प्रो. पीगू के अनुसार, “राष्ट्रीय लाभांश किसी समाज की वास्तविक आय का वह भाग है जिसमें विदेशों से प्राप्त आय भी सम्मिलित है, जिसे मुद्रा के रूप में मापा जा सकता है।” प्रो० मार्शल और प्रो. पीगू के ठीक विपरीत प्रो० फिशर ने उत्पादन की अपेक्षा उपभोग को राष्ट्रीय आय का आधार माना है। इनके अनुसार, “वास्तविक राष्ट्रीय आय वार्षिक शुद्ध उत्पादन का वह भाग है जिसका उस वर्ष में प्रत्यक्ष रूप से उपभोग किया जाता है।”
राष्ट्रीय आय की धारणा पर उत्पादन, आय एवं व्यय तीन दृष्टियों से विचार किया जाता है। इन्हीं विचारों के अनुरूप राष्ट्रीय आय की माप या गणना करने की भी निम्नलिखित तीन मुख्य पद्धतियाँ हैं|
1 उत्पादन-गणना पद्धति – उत्पादन-गणना पद्धति के अंतर्गत देश की अर्थव्यवस्था को कृषि, उद्योग, व्यापार आदि विभिन्न क्षेत्रों में बांट दिया जाता है। इसके पश्चात इन सभी क्षेत्रों द्वारा एक वर्ष के अंतर्गत उत्पादित सभी वस्तुओं और सेवाओं के बाजार मूल्य तथा शुद्ध निर्यात को जोड़कर कुल उत्पादन एवं राष्ट्रीय आय का पता लगाया जाता है।
2 आय-गणना पद्धति- इसके अनुसार, देश के सभी नागरिकों और व्यावसायिक संस्थाओं की आय की गणना की जाती है तथा उनकी शुद्ध आय के योगफल को
राष्ट्रीय आय कहा जाता है।
3 व्यय-गणना पद्धति- इस पद्धति के अंतर्गत वस्तुओं और सेवाओं पर किए गए अंतिम व्यय को मापने का प्रयास किया जाता है। इसमें निजी उपभोग व्यय, सरकारी व्यय, निजी घरेलू निवेश तथा शुद्ध निर्यात को जोड़कर राष्ट्रीय आय की गणना की जाती है।
राष्ट्रीय आय किसी देश के निवासियों की कुल आय होती है। प्रतिव्यक्ति आय देश के नागरिकों की औसत आय है। कुल राष्ट्रीय आय में कुल जनसंख्या से भाग देने पर जो भागफल आता है, उसे प्रतिव्यक्ति आय कहते हैं। किसी देश के आर्थिक विकास में राष्ट्रीय एवं प्रति व्यक्ति आय का महत्त्वपूर्ण योगदान होता है। ये दोनों हीRead more
राष्ट्रीय आय किसी देश के निवासियों की कुल आय होती है। प्रतिव्यक्ति आय देश के नागरिकों की औसत आय है। कुल राष्ट्रीय आय में कुल जनसंख्या से भाग देने पर जो भागफल आता है, उसे प्रतिव्यक्ति आय कहते हैं। किसी देश के आर्थिक विकास में राष्ट्रीय एवं प्रति व्यक्ति आय का महत्त्वपूर्ण योगदान होता है। ये दोनों ही हमारे आर्थिक जीवन, रहन-सहन के स्तर तथा विकास को प्रभावित करते हैं।
आर्थिक विकास का राष्ट्रीय आय से घनिष्ठ संबंध है। किसी भी देश के आर्थिक विकास के लिए राष्ट्रीय आय में वृद्धि आवश्यक है। राष्ट्रीय आय में वृद्धि उपभोग एवं विनियोग की वस्तुओं में होनेवाली वृद्धि का परिचायक है। उपभोग की वस्तुओं की पूर्ति बढ़ने से लोगों का जीवन-स्तर ऊँचा होता है। विनियोग की वस्तुएँ आर्थिक विकास की प्रक्रिया को तीव्र बनाने में सहायक होती हैं तथा इससे हमारी भावी उत्पादन क्षमता बढ़ती है। विकास का मूल उद्देश्य राष्ट्रीय एवं प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि द्वारा देश के नागरिकों के जीवन-स्तर को ऊँचा उठाना है। सामान्यतया, राष्ट्रीय आय में वृद्धि होने पर देशवासियों की प्रति व्यक्ति आय भी बढ़ती है। लेकिन, इसके लिए राष्ट्रीय आय का
समुचित वितरण आवश्यक है। भारत में राष्ट्रीय आय का वितरण बहुत विषम है तथा इसका एक बड़ा भाग कुछ थोड़े-से व्यक्तियों के हाथ में केंद्रित है। इसके फलस्वरूप देश में व्यापक निर्धनता विद्यमान है | अतः, देश के सामान्य नागरिकों की औसत अथवा प्रतिव्यक्ति आय में वृद्धि के लिए राष्ट्रीय आय में वृद्धि के साथ ही इसका समुचित वितरण भी आवश्यक है।
Gandhiji was born on 2 October 1869 in a wealthy family of Gujarat at a place called Porbandar. After completing his law studies from England, Gandhiji moved to Durban (South Africa) in 1892–1893 to contest the case of Dada Abdullah, an Indian Muslim businessman who traded in South Africa. He succeeRead more
Gandhiji was born on 2 October 1869 in a wealthy family of Gujarat at a place called Porbandar. After completing his law studies from England, Gandhiji moved to Durban (South Africa) in 1892–1893 to contest the case of Dada Abdullah, an Indian Muslim businessman who traded in South Africa. He succeeded in this lawsuit.
During this time he clearly felt apartheid policy towards Indians in South Africa. Every Indian was required to take a registration certificate there and keep this certificate with him at all times. Gandhiji opposed the ‘Asiatic Registration Act’ in this regard.
It is known that Gandhiji was humiliated on his way to Durban from Pretoria and from here he got the inspiration of leadership of Indians. In 1894, Gandhiji founded the ‘Natal Indian Congress’ in South Africa and also started a movement against the policy of apartheid. With the help of his colleague German craftsman ‘Köllenbach’ established the ‘Tolstoy Farm’. While living there, he published the newspaper ‘Indian Opinion’ in South Africa and established the ‘Phoenix Ashram’ in 1904. Due to their efforts and movement, most of the color discrimination laws were repealed in 1914 by the South African government. In 1909 wrote a book called ‘Hind Swaraj’ criticizing Western values, in which all areas were advised to become self-reliant.
अंग्रेजी शासन की आर्थिक नीति का दुष्प्रभाव जनजातियों को भी झेलना पड़ा। वन-संबंधी अधिकारों के छीने जाने, जमीन से बेदखली, सामंती एवं महाजनी तथा प्रशासनिक अधिकारियों से त्रस्त होकर 19वीं शताब्दी के पूर्वार्द्ध एवं 20वीं शताब्दी में जनजातियों ने अनेकों बार विद्रोह किए। 19वीं शताब्दी के जनजातीय आंदोलनोंRead more
अंग्रेजी शासन की आर्थिक नीति का दुष्प्रभाव जनजातियों को भी झेलना पड़ा। वन-संबंधी अधिकारों के छीने जाने, जमीन से बेदखली, सामंती एवं महाजनी तथा प्रशासनिक अधिकारियों से त्रस्त होकर 19वीं शताब्दी के पूर्वार्द्ध एवं 20वीं शताब्दी में जनजातियों ने अनेकों बार विद्रोह किए। 19वीं शताब्दी के जनजातीय आंदोलनों में प्रमुख हैं- भूमिज एवं हो विद्रोह, कोल एवं संथाल विद्रोह तथा बिरसा मुंडा आंदोलन। इन आंदोलनों का महत्त्व इस बात में है कि इसने दिखला दिया कि शोषण के विरुद्ध संघर्ष किया जा सकता है। इससे स्वतंत्रता संग्रामकारियों ने प्रेरणा ग्रहण की। 20वीं शताब्दी में जनजातीय विद्रोहों की परंपरा बनी रही। 1916 में गोदावरी पहाड़ियों के पुराने रंपा प्रदेश में विद्रोह हुआ। सीताराम राजू का विद्रोह आंध्र प्रदेश में हुआ। उन्होंने उग्र गुरिल्ला आंदोलन चलाकर सरकार को परेशान कर दिया। वर्तमान झारखंड में जतरा भगत के नेतृत्व में ओरांव जनजातियों ने टाना भगत आंदोलन चलाया। इस आंदोलन ने झारखंड में असहयोग आंदोलन एवं सत्याग्रह की अवधारणा को व्यापक आधार प्रदान किया। इन प्रमुख आंदोलनों के अतिरिक्त देश के अन्य भागों में भी जनजातीय आंदोलन हुए। ये सभी आंदोलन और विद्रोह प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से भारतीय स्वतंत्रता संग्राम से जुड़े हुए थे।
विभिन्न जंतुओं की संरचना के अध्ययन से यह पता चलता है कि भिन्न-भिन्न वातावरण में रहनेवाले जंतुओं के कुछ अंग ऐसे होते हैं जो संरचना और उत्पत्ति के दृष्टिकोण से तो एकसमान होते हैं, परंतु अपने वातावरण के अनुसार वे भिन्न-भिन्न कार्यों का संपादन करते हैं। ऐसे अंग समजात अंग कहलाते हैं। जैसे-मेढक, पक्षी, बिRead more
विभिन्न जंतुओं की संरचना के अध्ययन से यह पता चलता है कि भिन्न-भिन्न वातावरण में रहनेवाले जंतुओं के कुछ अंग ऐसे होते हैं जो संरचना और उत्पत्ति के दृष्टिकोण से तो एकसमान होते हैं, परंतु अपने वातावरण के अनुसार वे भिन्न-भिन्न कार्यों का संपादन करते हैं। ऐसे अंग समजात अंग कहलाते हैं। जैसे-मेढक, पक्षी, बिल्ली तथा मनुष्य के अग्रपादों में पाए जानेवाले अस्थियों के अवयव प्रायः समान होते हैं, परंतु इन कशेरुक प्राणियों के अग्रपाद विभिन्न प्रकार के कार्यों का संपादन करते हैं।
हीमोग्लोबिन श्वसन के द्वारा लिए गए ऑक्सीजन से संयोग कर एक अस्थायी यौगिक ऑक्सीहीमोग्लोबिन (oxyhaemoglobin) का निर्माण करता है तथा इसी रूप में रक्त परिवहन के द्वारा यह शरीर के सभी भागों में पहुँचता है।
हीमोग्लोबिन श्वसन के द्वारा लिए गए ऑक्सीजन से संयोग कर एक अस्थायी यौगिक ऑक्सीहीमोग्लोबिन (oxyhaemoglobin) का निर्माण करता है तथा इसी रूप में रक्त परिवहन के द्वारा यह शरीर के सभी भागों में पहुँचता है।
Why must a parachute have a hole ?
Aman Kumar
To avoid oscillation of the parachute while descending owing to the changing currents of wind, a hole in the center of parachute is made, which allows the air to run out of the parachute regularly.
To avoid oscillation of the parachute while descending owing to the changing currents of wind, a hole in the center of parachute is made, which allows the air to run out of the parachute regularly.
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Aman Kumar
Copper and aluminium wires are usually employed because they have a very low resistivity. During transmission, because of low resistance the power losses due to the heat produced in them will be considerably reduced.
Copper and aluminium wires are usually employed because they have a very low resistivity. During transmission, because of low resistance the power losses due to the heat produced in them will be considerably reduced.
See lessWhy does an electricity bulb make a bang when it …
Aman Kumar
An electric light bulb has a partial vacuum. When it is broken the air rushes in to fill the vacuum, thus causing a bang. This is called implosion
An electric light bulb has a partial vacuum. When it is broken the air rushes in to fill the vacuum, thus causing a bang. This is called implosion
See lessराष्ट्रीय आय की परिभाषा क्या है ? राष्ट्रीय आय गणना …
Aman Kumar
राष्ट्रीय आय की मुख्यतः तीन परिभाषाएँ दी जाती हैं। प्रो. मार्शल के अनुसार, "किसी देश का श्रम और पूँजी उसके प्राकृतिक संसाधनों पर क्रियाशील होकर प्रतिवर्ष वस्तुओं का एक शुद्ध समूह उत्पन्न करते हैं, जिसमें भौतिक तथा अभौतिक पदार्थ तथा सभी प्रकार की सेवाएँ सम्मिलित रहती है। यह देश की विशुद्ध वार्षिक आयRead more
राष्ट्रीय आय की मुख्यतः तीन परिभाषाएँ दी जाती हैं।
See lessप्रो. मार्शल के अनुसार, “किसी देश का श्रम और पूँजी उसके प्राकृतिक संसाधनों पर क्रियाशील होकर प्रतिवर्ष वस्तुओं का एक शुद्ध समूह उत्पन्न करते हैं, जिसमें भौतिक तथा अभौतिक पदार्थ तथा सभी प्रकार की सेवाएँ सम्मिलित रहती है। यह देश की विशुद्ध वार्षिक आय या राष्ट्रीय लाभांश है।”
प्रो. पीगू के अनुसार, “राष्ट्रीय लाभांश किसी समाज की वास्तविक आय का वह भाग है जिसमें विदेशों से प्राप्त आय भी सम्मिलित है, जिसे मुद्रा के रूप में मापा जा सकता है।” प्रो० मार्शल और प्रो. पीगू के ठीक विपरीत प्रो० फिशर ने उत्पादन की अपेक्षा उपभोग को राष्ट्रीय आय का आधार माना है। इनके अनुसार, “वास्तविक राष्ट्रीय आय वार्षिक शुद्ध उत्पादन का वह भाग है जिसका उस वर्ष में प्रत्यक्ष रूप से उपभोग किया जाता है।”
राष्ट्रीय आय की धारणा पर उत्पादन, आय एवं व्यय तीन दृष्टियों से विचार किया जाता है। इन्हीं विचारों के अनुरूप राष्ट्रीय आय की माप या गणना करने की भी निम्नलिखित तीन मुख्य पद्धतियाँ हैं|
1 उत्पादन-गणना पद्धति – उत्पादन-गणना पद्धति के अंतर्गत देश की अर्थव्यवस्था को कृषि, उद्योग, व्यापार आदि विभिन्न क्षेत्रों में बांट दिया जाता है। इसके पश्चात इन सभी क्षेत्रों द्वारा एक वर्ष के अंतर्गत उत्पादित सभी वस्तुओं और सेवाओं के बाजार मूल्य तथा शुद्ध निर्यात को जोड़कर कुल उत्पादन एवं राष्ट्रीय आय का पता लगाया जाता है।
2 आय-गणना पद्धति- इसके अनुसार, देश के सभी नागरिकों और व्यावसायिक संस्थाओं की आय की गणना की जाती है तथा उनकी शुद्ध आय के योगफल को
राष्ट्रीय आय कहा जाता है।
3 व्यय-गणना पद्धति- इस पद्धति के अंतर्गत वस्तुओं और सेवाओं पर किए गए अंतिम व्यय को मापने का प्रयास किया जाता है। इसमें निजी उपभोग व्यय, सरकारी व्यय, निजी घरेलू निवेश तथा शुद्ध निर्यात को जोड़कर राष्ट्रीय आय की गणना की जाती है।
आर्थिक विकास से राष्ट्रीय एवं प्रति व्यक्ति आय का क्या …
Aman Kumar
राष्ट्रीय आय किसी देश के निवासियों की कुल आय होती है। प्रतिव्यक्ति आय देश के नागरिकों की औसत आय है। कुल राष्ट्रीय आय में कुल जनसंख्या से भाग देने पर जो भागफल आता है, उसे प्रतिव्यक्ति आय कहते हैं। किसी देश के आर्थिक विकास में राष्ट्रीय एवं प्रति व्यक्ति आय का महत्त्वपूर्ण योगदान होता है। ये दोनों हीRead more
राष्ट्रीय आय किसी देश के निवासियों की कुल आय होती है। प्रतिव्यक्ति आय देश के नागरिकों की औसत आय है। कुल राष्ट्रीय आय में कुल जनसंख्या से भाग देने पर जो भागफल आता है, उसे प्रतिव्यक्ति आय कहते हैं। किसी देश के आर्थिक विकास में राष्ट्रीय एवं प्रति व्यक्ति आय का महत्त्वपूर्ण योगदान होता है। ये दोनों ही हमारे आर्थिक जीवन, रहन-सहन के स्तर तथा विकास को प्रभावित करते हैं।
See lessआर्थिक विकास का राष्ट्रीय आय से घनिष्ठ संबंध है। किसी भी देश के आर्थिक विकास के लिए राष्ट्रीय आय में वृद्धि आवश्यक है। राष्ट्रीय आय में वृद्धि उपभोग एवं विनियोग की वस्तुओं में होनेवाली वृद्धि का परिचायक है। उपभोग की वस्तुओं की पूर्ति बढ़ने से लोगों का जीवन-स्तर ऊँचा होता है। विनियोग की वस्तुएँ आर्थिक विकास की प्रक्रिया को तीव्र बनाने में सहायक होती हैं तथा इससे हमारी भावी उत्पादन क्षमता बढ़ती है। विकास का मूल उद्देश्य राष्ट्रीय एवं प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि द्वारा देश के नागरिकों के जीवन-स्तर को ऊँचा उठाना है। सामान्यतया, राष्ट्रीय आय में वृद्धि होने पर देशवासियों की प्रति व्यक्ति आय भी बढ़ती है। लेकिन, इसके लिए राष्ट्रीय आय का
समुचित वितरण आवश्यक है। भारत में राष्ट्रीय आय का वितरण बहुत विषम है तथा इसका एक बड़ा भाग कुछ थोड़े-से व्यक्तियों के हाथ में केंद्रित है। इसके फलस्वरूप देश में व्यापक निर्धनता विद्यमान है | अतः, देश के सामान्य नागरिकों की औसत अथवा प्रतिव्यक्ति आय में वृद्धि के लिए राष्ट्रीय आय में वृद्धि के साथ ही इसका समुचित वितरण भी आवश्यक है।
सी टी स्कैन में किस किरण का उपयोग किया जाता …
Aman Kumar
सी टी स्कैन में एक्स किरण का उपयोग किया जाता है | CORRECT ANSWER D
सी टी स्कैन में एक्स किरण का उपयोग किया जाता है |
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महात्मा गांधी का जन्म हुआ था ? (A) 1859 (B) …
Aman Kumar
Gandhiji was born on 2 October 1869 in a wealthy family of Gujarat at a place called Porbandar. After completing his law studies from England, Gandhiji moved to Durban (South Africa) in 1892–1893 to contest the case of Dada Abdullah, an Indian Muslim businessman who traded in South Africa. He succeeRead more
Gandhiji was born on 2 October 1869 in a wealthy family of Gujarat at a place called Porbandar. After completing his law studies from England, Gandhiji moved to Durban (South Africa) in 1892–1893 to contest the case of Dada Abdullah, an Indian Muslim businessman who traded in South Africa. He succeeded in this lawsuit.
During this time he clearly felt apartheid policy towards Indians in South Africa. Every Indian was required to take a registration certificate there and keep this certificate with him at all times. Gandhiji opposed the ‘Asiatic Registration Act’ in this regard.
It is known that Gandhiji was humiliated on his way to Durban from Pretoria and from here he got the inspiration of leadership of Indians. In 1894, Gandhiji founded the ‘Natal Indian Congress’ in South Africa and also started a movement against the policy of apartheid. With the help of his colleague German craftsman ‘Köllenbach’ established the ‘Tolstoy Farm’. While living there, he published the newspaper ‘Indian Opinion’ in South Africa and established the ‘Phoenix Ashram’ in 1904. Due to their efforts and movement, most of the color discrimination laws were repealed in 1914 by the South African government. In 1909 wrote a book called ‘Hind Swaraj’ criticizing Western values, in which all areas were advised to become self-reliant.
See lessभारत के स्वतंत्रता संग्राम में जनजातीय लोगों की क्या भूमिका …
Aman Kumar
अंग्रेजी शासन की आर्थिक नीति का दुष्प्रभाव जनजातियों को भी झेलना पड़ा। वन-संबंधी अधिकारों के छीने जाने, जमीन से बेदखली, सामंती एवं महाजनी तथा प्रशासनिक अधिकारियों से त्रस्त होकर 19वीं शताब्दी के पूर्वार्द्ध एवं 20वीं शताब्दी में जनजातियों ने अनेकों बार विद्रोह किए। 19वीं शताब्दी के जनजातीय आंदोलनोंRead more
अंग्रेजी शासन की आर्थिक नीति का दुष्प्रभाव जनजातियों को भी झेलना पड़ा। वन-संबंधी अधिकारों के छीने जाने, जमीन से बेदखली, सामंती एवं महाजनी तथा प्रशासनिक अधिकारियों से त्रस्त होकर 19वीं शताब्दी के पूर्वार्द्ध एवं 20वीं शताब्दी में जनजातियों ने अनेकों बार विद्रोह किए। 19वीं शताब्दी के जनजातीय आंदोलनों में प्रमुख हैं- भूमिज एवं हो विद्रोह, कोल एवं संथाल विद्रोह तथा बिरसा मुंडा आंदोलन। इन आंदोलनों का महत्त्व इस बात में है कि इसने दिखला दिया कि शोषण के विरुद्ध संघर्ष किया जा सकता है। इससे स्वतंत्रता संग्रामकारियों ने प्रेरणा ग्रहण की। 20वीं शताब्दी में जनजातीय विद्रोहों की परंपरा बनी रही। 1916 में गोदावरी पहाड़ियों के पुराने रंपा प्रदेश में विद्रोह हुआ। सीताराम राजू का विद्रोह आंध्र प्रदेश में हुआ। उन्होंने उग्र गुरिल्ला आंदोलन चलाकर सरकार को परेशान कर दिया। वर्तमान झारखंड में जतरा भगत के नेतृत्व में ओरांव जनजातियों ने टाना भगत आंदोलन चलाया। इस आंदोलन ने झारखंड में असहयोग आंदोलन एवं सत्याग्रह की अवधारणा को व्यापक आधार प्रदान किया। इन प्रमुख आंदोलनों के अतिरिक्त देश के अन्य भागों में भी जनजातीय आंदोलन हुए। ये सभी आंदोलन और विद्रोह प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से भारतीय स्वतंत्रता संग्राम से जुड़े हुए थे।
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Aman Kumar
विभिन्न जंतुओं की संरचना के अध्ययन से यह पता चलता है कि भिन्न-भिन्न वातावरण में रहनेवाले जंतुओं के कुछ अंग ऐसे होते हैं जो संरचना और उत्पत्ति के दृष्टिकोण से तो एकसमान होते हैं, परंतु अपने वातावरण के अनुसार वे भिन्न-भिन्न कार्यों का संपादन करते हैं। ऐसे अंग समजात अंग कहलाते हैं। जैसे-मेढक, पक्षी, बिRead more
विभिन्न जंतुओं की संरचना के अध्ययन से यह पता चलता है कि भिन्न-भिन्न वातावरण में रहनेवाले जंतुओं के कुछ अंग ऐसे होते हैं जो संरचना और उत्पत्ति के दृष्टिकोण से तो एकसमान होते हैं, परंतु अपने वातावरण के अनुसार वे भिन्न-भिन्न कार्यों का संपादन करते हैं। ऐसे अंग समजात अंग कहलाते हैं। जैसे-मेढक, पक्षी, बिल्ली तथा मनुष्य के अग्रपादों में पाए जानेवाले अस्थियों के अवयव प्रायः समान होते हैं, परंतु इन कशेरुक प्राणियों के अग्रपाद विभिन्न प्रकार के कार्यों का संपादन करते हैं।
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Aman Kumar
हीमोग्लोबिन श्वसन के द्वारा लिए गए ऑक्सीजन से संयोग कर एक अस्थायी यौगिक ऑक्सीहीमोग्लोबिन (oxyhaemoglobin) का निर्माण करता है तथा इसी रूप में रक्त परिवहन के द्वारा यह शरीर के सभी भागों में पहुँचता है।
हीमोग्लोबिन श्वसन के द्वारा लिए गए ऑक्सीजन से संयोग कर एक अस्थायी यौगिक ऑक्सीहीमोग्लोबिन (oxyhaemoglobin) का निर्माण करता है तथा इसी रूप में रक्त परिवहन के द्वारा यह शरीर के सभी भागों में पहुँचता है।
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