Gandhiji was born on 2 October 1869 in a wealthy family of Gujarat at a place called Porbandar. After completing his law studies from England, Gandhiji moved to Durban (South Africa) in 1892–1893 to contest the case of Dada Abdullah, an Indian Muslim businessman who traded in South Africa. He succeeRead more
Gandhiji was born on 2 October 1869 in a wealthy family of Gujarat at a place called Porbandar. After completing his law studies from England, Gandhiji moved to Durban (South Africa) in 1892–1893 to contest the case of Dada Abdullah, an Indian Muslim businessman who traded in South Africa. He succeeded in this lawsuit.
During this time he clearly felt apartheid policy towards Indians in South Africa. Every Indian was required to take a registration certificate there and keep this certificate with him at all times. Gandhiji opposed the ‘Asiatic Registration Act’ in this regard.
It is known that Gandhiji was humiliated on his way to Durban from Pretoria and from here he got the inspiration of leadership of Indians. In 1894, Gandhiji founded the ‘Natal Indian Congress’ in South Africa and also started a movement against the policy of apartheid. With the help of his colleague German craftsman ‘Köllenbach’ established the ‘Tolstoy Farm’. While living there, he published the newspaper ‘Indian Opinion’ in South Africa and established the ‘Phoenix Ashram’ in 1904. Due to their efforts and movement, most of the color discrimination laws were repealed in 1914 by the South African government. In 1909 wrote a book called ‘Hind Swaraj’ criticizing Western values, in which all areas were advised to become self-reliant.
अंग्रेजी शासन की आर्थिक नीति का दुष्प्रभाव जनजातियों को भी झेलना पड़ा। वन-संबंधी अधिकारों के छीने जाने, जमीन से बेदखली, सामंती एवं महाजनी तथा प्रशासनिक अधिकारियों से त्रस्त होकर 19वीं शताब्दी के पूर्वार्द्ध एवं 20वीं शताब्दी में जनजातियों ने अनेकों बार विद्रोह किए। 19वीं शताब्दी के जनजातीय आंदोलनोंRead more
अंग्रेजी शासन की आर्थिक नीति का दुष्प्रभाव जनजातियों को भी झेलना पड़ा। वन-संबंधी अधिकारों के छीने जाने, जमीन से बेदखली, सामंती एवं महाजनी तथा प्रशासनिक अधिकारियों से त्रस्त होकर 19वीं शताब्दी के पूर्वार्द्ध एवं 20वीं शताब्दी में जनजातियों ने अनेकों बार विद्रोह किए। 19वीं शताब्दी के जनजातीय आंदोलनों में प्रमुख हैं- भूमिज एवं हो विद्रोह, कोल एवं संथाल विद्रोह तथा बिरसा मुंडा आंदोलन। इन आंदोलनों का महत्त्व इस बात में है कि इसने दिखला दिया कि शोषण के विरुद्ध संघर्ष किया जा सकता है। इससे स्वतंत्रता संग्रामकारियों ने प्रेरणा ग्रहण की। 20वीं शताब्दी में जनजातीय विद्रोहों की परंपरा बनी रही। 1916 में गोदावरी पहाड़ियों के पुराने रंपा प्रदेश में विद्रोह हुआ। सीताराम राजू का विद्रोह आंध्र प्रदेश में हुआ। उन्होंने उग्र गुरिल्ला आंदोलन चलाकर सरकार को परेशान कर दिया। वर्तमान झारखंड में जतरा भगत के नेतृत्व में ओरांव जनजातियों ने टाना भगत आंदोलन चलाया। इस आंदोलन ने झारखंड में असहयोग आंदोलन एवं सत्याग्रह की अवधारणा को व्यापक आधार प्रदान किया। इन प्रमुख आंदोलनों के अतिरिक्त देश के अन्य भागों में भी जनजातीय आंदोलन हुए। ये सभी आंदोलन और विद्रोह प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से भारतीय स्वतंत्रता संग्राम से जुड़े हुए थे।
विभिन्न जंतुओं की संरचना के अध्ययन से यह पता चलता है कि भिन्न-भिन्न वातावरण में रहनेवाले जंतुओं के कुछ अंग ऐसे होते हैं जो संरचना और उत्पत्ति के दृष्टिकोण से तो एकसमान होते हैं, परंतु अपने वातावरण के अनुसार वे भिन्न-भिन्न कार्यों का संपादन करते हैं। ऐसे अंग समजात अंग कहलाते हैं। जैसे-मेढक, पक्षी, बिRead more
विभिन्न जंतुओं की संरचना के अध्ययन से यह पता चलता है कि भिन्न-भिन्न वातावरण में रहनेवाले जंतुओं के कुछ अंग ऐसे होते हैं जो संरचना और उत्पत्ति के दृष्टिकोण से तो एकसमान होते हैं, परंतु अपने वातावरण के अनुसार वे भिन्न-भिन्न कार्यों का संपादन करते हैं। ऐसे अंग समजात अंग कहलाते हैं। जैसे-मेढक, पक्षी, बिल्ली तथा मनुष्य के अग्रपादों में पाए जानेवाले अस्थियों के अवयव प्रायः समान होते हैं, परंतु इन कशेरुक प्राणियों के अग्रपाद विभिन्न प्रकार के कार्यों का संपादन करते हैं।
हीमोग्लोबिन श्वसन के द्वारा लिए गए ऑक्सीजन से संयोग कर एक अस्थायी यौगिक ऑक्सीहीमोग्लोबिन (oxyhaemoglobin) का निर्माण करता है तथा इसी रूप में रक्त परिवहन के द्वारा यह शरीर के सभी भागों में पहुँचता है।
हीमोग्लोबिन श्वसन के द्वारा लिए गए ऑक्सीजन से संयोग कर एक अस्थायी यौगिक ऑक्सीहीमोग्लोबिन (oxyhaemoglobin) का निर्माण करता है तथा इसी रूप में रक्त परिवहन के द्वारा यह शरीर के सभी भागों में पहुँचता है।
महात्मा गांधी का जन्म हुआ था ? (A) 1859 (B) …
Aman Kumar
Gandhiji was born on 2 October 1869 in a wealthy family of Gujarat at a place called Porbandar. After completing his law studies from England, Gandhiji moved to Durban (South Africa) in 1892–1893 to contest the case of Dada Abdullah, an Indian Muslim businessman who traded in South Africa. He succeeRead more
Gandhiji was born on 2 October 1869 in a wealthy family of Gujarat at a place called Porbandar. After completing his law studies from England, Gandhiji moved to Durban (South Africa) in 1892–1893 to contest the case of Dada Abdullah, an Indian Muslim businessman who traded in South Africa. He succeeded in this lawsuit.
During this time he clearly felt apartheid policy towards Indians in South Africa. Every Indian was required to take a registration certificate there and keep this certificate with him at all times. Gandhiji opposed the ‘Asiatic Registration Act’ in this regard.
It is known that Gandhiji was humiliated on his way to Durban from Pretoria and from here he got the inspiration of leadership of Indians. In 1894, Gandhiji founded the ‘Natal Indian Congress’ in South Africa and also started a movement against the policy of apartheid. With the help of his colleague German craftsman ‘Köllenbach’ established the ‘Tolstoy Farm’. While living there, he published the newspaper ‘Indian Opinion’ in South Africa and established the ‘Phoenix Ashram’ in 1904. Due to their efforts and movement, most of the color discrimination laws were repealed in 1914 by the South African government. In 1909 wrote a book called ‘Hind Swaraj’ criticizing Western values, in which all areas were advised to become self-reliant.
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Aman Kumar
अंग्रेजी शासन की आर्थिक नीति का दुष्प्रभाव जनजातियों को भी झेलना पड़ा। वन-संबंधी अधिकारों के छीने जाने, जमीन से बेदखली, सामंती एवं महाजनी तथा प्रशासनिक अधिकारियों से त्रस्त होकर 19वीं शताब्दी के पूर्वार्द्ध एवं 20वीं शताब्दी में जनजातियों ने अनेकों बार विद्रोह किए। 19वीं शताब्दी के जनजातीय आंदोलनोंRead more
अंग्रेजी शासन की आर्थिक नीति का दुष्प्रभाव जनजातियों को भी झेलना पड़ा। वन-संबंधी अधिकारों के छीने जाने, जमीन से बेदखली, सामंती एवं महाजनी तथा प्रशासनिक अधिकारियों से त्रस्त होकर 19वीं शताब्दी के पूर्वार्द्ध एवं 20वीं शताब्दी में जनजातियों ने अनेकों बार विद्रोह किए। 19वीं शताब्दी के जनजातीय आंदोलनों में प्रमुख हैं- भूमिज एवं हो विद्रोह, कोल एवं संथाल विद्रोह तथा बिरसा मुंडा आंदोलन। इन आंदोलनों का महत्त्व इस बात में है कि इसने दिखला दिया कि शोषण के विरुद्ध संघर्ष किया जा सकता है। इससे स्वतंत्रता संग्रामकारियों ने प्रेरणा ग्रहण की। 20वीं शताब्दी में जनजातीय विद्रोहों की परंपरा बनी रही। 1916 में गोदावरी पहाड़ियों के पुराने रंपा प्रदेश में विद्रोह हुआ। सीताराम राजू का विद्रोह आंध्र प्रदेश में हुआ। उन्होंने उग्र गुरिल्ला आंदोलन चलाकर सरकार को परेशान कर दिया। वर्तमान झारखंड में जतरा भगत के नेतृत्व में ओरांव जनजातियों ने टाना भगत आंदोलन चलाया। इस आंदोलन ने झारखंड में असहयोग आंदोलन एवं सत्याग्रह की अवधारणा को व्यापक आधार प्रदान किया। इन प्रमुख आंदोलनों के अतिरिक्त देश के अन्य भागों में भी जनजातीय आंदोलन हुए। ये सभी आंदोलन और विद्रोह प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से भारतीय स्वतंत्रता संग्राम से जुड़े हुए थे।
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Aman Kumar
विभिन्न जंतुओं की संरचना के अध्ययन से यह पता चलता है कि भिन्न-भिन्न वातावरण में रहनेवाले जंतुओं के कुछ अंग ऐसे होते हैं जो संरचना और उत्पत्ति के दृष्टिकोण से तो एकसमान होते हैं, परंतु अपने वातावरण के अनुसार वे भिन्न-भिन्न कार्यों का संपादन करते हैं। ऐसे अंग समजात अंग कहलाते हैं। जैसे-मेढक, पक्षी, बिRead more
विभिन्न जंतुओं की संरचना के अध्ययन से यह पता चलता है कि भिन्न-भिन्न वातावरण में रहनेवाले जंतुओं के कुछ अंग ऐसे होते हैं जो संरचना और उत्पत्ति के दृष्टिकोण से तो एकसमान होते हैं, परंतु अपने वातावरण के अनुसार वे भिन्न-भिन्न कार्यों का संपादन करते हैं। ऐसे अंग समजात अंग कहलाते हैं। जैसे-मेढक, पक्षी, बिल्ली तथा मनुष्य के अग्रपादों में पाए जानेवाले अस्थियों के अवयव प्रायः समान होते हैं, परंतु इन कशेरुक प्राणियों के अग्रपाद विभिन्न प्रकार के कार्यों का संपादन करते हैं।
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Aman Kumar
हीमोग्लोबिन श्वसन के द्वारा लिए गए ऑक्सीजन से संयोग कर एक अस्थायी यौगिक ऑक्सीहीमोग्लोबिन (oxyhaemoglobin) का निर्माण करता है तथा इसी रूप में रक्त परिवहन के द्वारा यह शरीर के सभी भागों में पहुँचता है।
हीमोग्लोबिन श्वसन के द्वारा लिए गए ऑक्सीजन से संयोग कर एक अस्थायी यौगिक ऑक्सीहीमोग्लोबिन (oxyhaemoglobin) का निर्माण करता है तथा इसी रूप में रक्त परिवहन के द्वारा यह शरीर के सभी भागों में पहुँचता है।
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Aman Kumar
आनंद मठ उपन्यास के लेखक का नाम बंकिम चंद्र
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